लिंग-आधारित हिंसा और भेदभाव

विश्व स्तर पर वस्त्र उद्यम में काम करने वालों में एक बड़ी संख्या महिलाओं की है। महिला श्रमिकों को बाकी श्रमिकों के इलावा कई अन्य चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। कानूनी रूप से आवश्यक लाभ प्रदान करने से जुड़ी लागत से बचने के लिए, प्रबंधक अक्सर उन महिलाओं को काम से हटा देते हैं जो गर्भवती होती हैं। कभी-कभी वे सभी महिला कर्मियों को काम पर रखने से पहले गर्भावस्था टेस्ट के लिए मजबूर करते हैं। जहाँ गर्भवती महिलाओं को काम करने की अनुमति दे दी जाती है, वहाँ भी उन्हें मातृत्व अवकाश, बच्चों की देखभाल और स्तनपान के लिए समय जैसे राष्ट्रीय कानूनों के तहत आवश्यक बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जाता है।

महिला श्रमिकों को प्रबंधकों से यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का भी सामना करना पड़ता है और यदि वे ऐसी बातों का विरोध करती हैं या कम्पनी के वरिष्ठों को रिपोर्ट करती हैं तो उन्हें नौकरी से निकाले जाने का जोखिम हो सकता है। अधिकांश कारखानों में, चूँकि अधिकतर श्रमिक महिलाएँ हैं और अधिकांश प्रबंधक पुरुष, तो महिला श्रमिकों को अक्सर लिंग आधारित मौखिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। प्रबंधक अक्सर श्रमिकों पर यौन प्रकृति के अपमानजनक शब्द चिल्लाते हैं।

लिंग-आधारित हिंसा शून्य में नहीं होती है- लिंग-आधारित हिंसा का जोखिम उन सन्दर्भों में बढ़ जाता है जहाँ कार्यकर्ता सामूहिक रूप से सौदेबाजी करने और संगठित होने के अपने अधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते हैं।

इस लैंगिक भेदभाव और उत्पीड़न का मुकाबला डब्ल्यूआरसी (WRC) महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन का जवाब देकर, उसका दस्तावेज़ीकरण करके तथा ब्रांडों और फैक्ट्री मालिकों पर यह सुनिश्चित करने के लिए दबाव डालकर करता है कि उनके आपूर्तिकर्ता लिंग-आधारित भेदभाव या यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की हर प्रथा को रोकें।

 

लिंग-आधारित हिंसा और उत्पीड़न से निपटने के बाध्यकारी समझौते

 

निएन ह्सिंग (लेसोथो)

15 अगस्त, 2019 को लेसोथो में लिंग-आधारित हिंसा और उत्पीड़न से निपटने के लिए प्रमुख परिधान ब्रांडों, श्रमिक संघों और महिला अधिकारों की वकालत करने वालों के गठबंधन और वैश्विक स्तर पर डेनिम जींस के प्रमुख निर्माता निएन ह्सिंग के बीच ऐतिहासिक समझौतों के एक सेट पर हस्ताक्षर किए गए।

इन समझौतों के कारण वर्कर्स राइट्स वॉच (Workers’ Rights Watch) नामक एक स्वतंत्र जाँच संगठन की स्थापना हुई, जिसकी जिम्मेदारी लेसोथो में निएन ह्सिंग के स्वामित्व वाले कारखानों में लिंग-आधारित हिंसा और उत्पीड़न के आरोपों की जाँच करने और उल्लंघन के लिए नौकरी से बर्खास्तगी सहित कई विशिष्ट उपायों को निर्देशित करने की है। समझौतों के नतीजे में एक टोल-फ्री सूचना लाइन भी स्थापित की गई जो एक महिला अधिकार संगठन द्वारा संचालित है, ताकि कार्यकर्ता कार्यक्रम के बारे में अधिक जान सकें और बिना प्रतिशोध के डर के लिंग-आधारित हिंसा व उत्पीड़न की घटनाओं की सुरक्षित रूप से रिपोर्ट दर्ज करवा सकें। इसमें एक व्यापक शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम भी जुड़ा हुआ है जिसमें लिंग-आधारित हिंसा व उत्पीड़न, कार्यक्रम की आचार संहिता और सभी निएन ह्सिंग कर्मचारियों के लिए लिंग-आधारित हिंसा और उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करने के तरीके पर दो दिवसीय कार्यशाला शामिल है। लैंगिक असमानता को बदलने और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सामूहिक रूप से कार्य करने की श्रमिकों की क्षमता की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, ये समझौते किसी भी प्रकार के संघ-विरोधी प्रतिशोध या श्रमिकों के संगठित होने के अधिकार में हस्तक्षेप को प्रतिबंधित करके उनके आपसी सहयोग के अधिकारों की भी रक्षा करते हैं।

इन जैसा कि 2023 में जारी एक सार्वजनिक रिपोर्ट में बताया गया है, समझौतों ने श्रमिकों को निएन ह्सिंग में मूलभूत परिवर्तन हासिल करने में सक्षम बनाया है। लेसोथो से परे, ये समझौते कार्यस्थल पर लिंग-आधारित हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करते हैं।

 

नैची परिधान (भारत)

जनवरी 2021 में भारत में, नैची परिधान कारखाने में काम करने वाली एक युवा महिला कर्मी की एक पुरुष कम्पनी पर्यवेक्षक ने हत्या कर दी। नैची, जिसके हालिया ग्राहकों में एच एंड एम, ऑथेंटिक ब्रांड्स, वॉलमार्ट और मार्क्स एंड स्पेंसर शामिल हैं, तमिलनाडु में स्थित है जो एक ऐसा राज्य है जहाँ लिंग-आधारित हिंसा व उत्पीड़न को लम्बे समय से व्यापक माना जाता है। हत्या के बाद, श्रमिक प्रतिनिधियों और अंतरराष्ट्रीय वकालत समूहों ने नैची की वास्तविकताओं को उजागर करने और उनमें बदलाव की मांग करने के लिए विश्वव्यापी प्रयास शुरू किए। यह कार्य तमिलनाडु टेक्सटाइल एंड कॉमन लेबर यूनियन (टीटीसीयू), एशिया फ्लोर वेज एलायंस (एएफडब्ल्यूए) जिसका टीटीसीयू एक सदस्य है, और ग्लोबल लेबर जस्टिस-इंटरनेशनल लेबर राइट्स फोरम (जीएलजे-आईएलआरएफ) द्वारा संचालित हुआ। इन संगठनों और ब्रांड हितधारकों के संयुक्त अनुरोध पर, डब्ल्यूआरसी ने कारखाने में लिंग-आधारित हिंसा और उत्पीड़न की जाँच की। हमारी जाँच में कारखाने में व्यापक लिंग-आधारित हिंसा और उत्पीड़न का माहौल पाया गया, जिसमें दो अन्य संभावित मामले भी शामिल थे, जिनमें महिला श्रमिकों की हिंसक हालिया मौतें कारखाने में उनके रोज़गार से जुड़ी हुई थीं।

जाँच पूरी करने के बाद, डब्ल्यूआरसी ने हितधारकों को एक मसौदा रिपोर्ट प्रदान की और नैची में श्रमिकों की सुरक्षा के लिए बाध्यकारी समझौतों की दिशा में पार्टियों के बीच निरंतर बातचीत की अनुमति देने के लिए प्रकाशन पर रोक लगाने पर सहमति व्यक्त की। अप्रैल 2022 में, टीटीसीयू, एएफडब्ल्यूए, जीएलजे-आईएलआरएफ, कारखाना मालिक और एच एंड एम ने समझौतों की घोषणा की, जिसने कार्यकर्ता प्रशिक्षण और सशक्तिकरण, लिंग-आधारित हिंसा और उत्पीड़न से संबंधित श्रमिकों की शिकायतों की प्रभावी और निष्पक्ष जाँच और निवारण के लिए एक व्यापक कार्यक्रम (comprehensive program) स्थापित किया। कार्यक्रम में कार्यकर्ता प्रतिनिधि केन्द्रीय भूमिका निभाएंगे। फैक्ट्री मालिक की प्रतिबद्धताओं को एच एंड एम द्वारा भविष्य के व्यवसाय की एक अनिवार्य शर्त के रूप में लागू किया जाता है, जो कार्यक्रम के लिए वित्त पोषण के साथ-साथ, स्वयं उन के लिए बहुवर्षीय समझौते के माध्यम से बाध्यकारी दायित्व है।

इन दुर्व्यवहारों की डब्ल्यूआरसी द्वारा जाँच, उनसे निपटने और उन्हें खत्म करने के समझौते गार्जियन के हालिया गहन लेख का विषय थे।

वैश्विक कपड़ा उद्योग, जिसमें लिंग-आधारित हिंसा व उत्पीड़न व्यापक है, ये समझौते कारखाना मालिकों और श्रमिक प्रतिनिधियों के साथ ब्रांड प्रतिनिधियों द्वारा बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो कार्यबल को दुर्व्यवहार से बचाएंगे। परिधान आपूर्ति श्रृंखला में लिंग- आधारित हिंसा और उत्पीड़न की व्यापकता को देखते हुए, कॉर्पोरेट ज़िम्मेदारी का सबसे सार्थक संकेतक यह नहीं है कि क्या यह समस्या किसी कम्पनी विशेष में मौजूद है, बल्कि यह है कि क्या कम्पनी और उसके खरीदार इससे निपटने के लिए साहसिक और अभिनव तरीके अपना रहे हैं। एच एंड एम और नैची के मालिक, श्रमिक प्रतिनिधियों के साथ साझेदारी में ऐसा कर रहे हैं।