भारत में जाँच के मामले

शाही एक्सपोर्ट्स यूनिट-20 (2022)

डब्ल्यूआरसी (WRC) ने भारत के बेंगलुरु में एक कपड़ा श्रमिक नेता की बहाली में मदद की, जिसे कारखाने में पर्यवेक्षकों और प्रबंधकों द्वारा अन्य श्रमिकों के साथ मौखिक दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का विरोध करने के बाद, नौ महीनों के लिए नौकरी से निलम्बित कर दिया गया था। इस दौरान उसे हिंसक धमकियों, शारीरिक हमले और अपमान भी सहने पड़े थे। हालाँकि जिस फैक्ट्री में ये घटनाएँ घटीं, वह विश्वविद्यालय के लाइसेंसधारियों के लिए उत्पादन नहीं करती, लेकिन बेंगलुरु में शाही के वे कारखाने भी स्थित हैं, जिनमें कोलंबिया स्पोर्ट्सवियर के लिए कॉलेजिएट सामान और नाइकी के लिए गैर-कॉलेजिएट सामान का उत्पादन होता है।

डब्ल्यूआरसी द्वारा कोलंबिया स्पोर्ट्सवियर, नाइकी और शाही से जुड़े कई अन्य ब्रांडों को इन दुर्व्यवहारों की सूचना देने के बाद, उस कर्मी नेता को बहाल कर दिया गया जिसे निलम्बित किया गया था और उसे पूरे नौ महीने की अवधि के लिए भुगतान भी किया गया। इसके अलावा, फैक्ट्री के वो सभी पर्यवेक्षक और प्रबंधक, जिन्हें डब्ल्यूआरसी ने दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के मामले में संलिप्त पाया था, उन्हें या तो अनुशासित किया गया, फिर दोबारा बहाल किया गया, या फिर उन्होंने कम्पनी छोड़ दी। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने और आगे के कार्यान्वयन को सुरक्षित करने के लिए डब्ल्यूआरसी शाही के खरीदारों के साथ अपना सहयोग जारी रखे हुए है।

 

नैची परिधान (2022)

श्रमिक संगठनों ने इस कारखाने में लिंग-आधारित हिंसा और उत्पीड़न से निपटने के लिए नैची के मालिक, ईस्टमैन अपैरल, और एच एंड एम के साथ बाध्यकारी समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। ये समझौते तब किए गए जब डब्ल्यूआरसी ने नैची फैक्ट्री में लिंग-आधारित हिंसा और उत्पीड़न, अपमानजनक व्यवहार के अन्य रूपों और स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के सम्बन्ध में भारतीय कानून, अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों और/या विक्रेता आचार संहिता का उल्लंघन करने वाली कई घटनाओं को उजागर किया।

 

शाही निर्यात इकाई-8 (2021)

अप्रैल 2020 में भारत के कर्नाटक राज्य में, जो देश के परिधान निर्माण के सबसे बड़े केन्द्रों में से एक है, न्यूनतम वेतन वृद्धि लागू हो गई। प्रमुख परिधान ब्रांडों के लिए उत्पादन करने वाले कारखाने के मालिकों ने भुगतान करने से इनकार कर दिया। परिणामस्वरूप, एक हजार से अधिक कारखानों के 4,00,000 कपड़ा श्रमिकों को कानूनी न्यूनतम वेतन न देकर धोखा दिया गया।

वैश्विक परिधान उद्योग में डब्ल्यूआरसी द्वारा दर्ज की गई यह सबसे बड़ी और खराब वेतन चोरी है। परिधान ब्रांडों को इस चोरी के बारे में पता था, लेकिन उन्होंने लगभग दो वर्षों तक इसे जारी रहने दिया। डब्ल्यूआरसी गणना के अनुसार जनवरी 2022 तक, कारखानों पर श्रमिकों का सामूहिक रूप से 5 करोड़ 80 लाख डॉलर से अधिक बकाया था।

2022 की फरवरी की शुरुआत में गारमेंट एंड टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन (जीएटीडब्ल्यूयू) द्वारा एक सफल मुकदमे, डब्ल्यूआरसी द्वारा ब्रांडों के साथ महीनों की कोशिशों और श्रम अधिकारों की वकालत करने वालों की बढ़ती संख्या में अपनी आवाज़ उठाने के बाद, भारत के सबसे बड़े परिधान निर्माता, शाही एक्सपोर्ट्स ने घोषणा की कि वह कर्नाटक में अपने सभी 80,000 श्रमिकों को सही न्यूनतम वेतन देना शुरू कर देगा। कम्पनी ने वर्तमान और पूर्व श्रमिकों दोनों को, सभी बकाया का भुगतान करने की भी प्रतिबद्धता जताई। अन्य आपूर्तिकर्ताओं ने भी जल्द ही इसका अनुसरण किया।

 

2018

डब्ल्यूआरसी की एक जाँच में पाया गया कि शाही एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (शाही) इकाई-8 की फैक्ट्री (बेंगलुरु, भारत) के प्रबंधन ने श्रमिकों द्वारा अपने मौलिक श्रम अधिकारों के इस्तेमाल के खिलाफ क्रूर दमनकारी प्रतिशोध का एक अभियान चलाया। प्रतिशोध का यह अभियान इस इकाई के कर्मियों के कर्नाटक गारमेंट वर्कर्स यूनियन (केओओजीयू) के साथ संगठित होने और बेहतर कामकाजी परिस्थितियों के लिए याचिका दायर करने के जवाब में हुआ था। यह फैक्ट्री कोलंबिया स्पोर्ट्सवियर के लिए यूनिवर्सिटी लोगो परिधान और बेनेटन, एच एंड एम और एबरक्रॉम्बी एंड फिच के लिए परिधान बनाती है।

शाही भारत की सबसे बड़ी कपड़ा निर्माता कम्पनी है और इसका स्वामित्व आहूजा परिवार के पास है। वर्ष 2018 की शुरुआत में, कम्पनी ने कपड़ा उद्योग में श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन में निर्धारित वृद्धि को रद्द करने के लिए कर्नाटक राज्य सरकार से सफलतापूर्वक पैरवी की। अप्रैल के अंत और 2018 की शुरुआत में की गई डब्ल्यूआरसी की फैक्ट्री की जाँच में 30 से अधिक शाही श्रमिकों के साक्षात्कार शामिल थे। डब्ल्यूआरसी ने शाही को भारतीय कानूनों, अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों और विश्वविद्यालय व ब्रांड आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए पाया। इन उल्लंघनों में शारीरिक पिटाई, जान से मारने की धमकी, लिंग, जाति और धर्म आधारित दुर्व्यवहार, सामूहिक रूप से नौकरी से हटाने की धमकियाँ और 15 श्रमिक  कार्यकर्ताओं का कारखाने से निष्कासन शामिल थे।

डब्ल्यूआरसी ने शाही, कोलंबिया स्पोर्ट्सवियर और अन्य ब्रांडों के साथ अपनी जाँच के परिणाम और सिफारिशें साझा कीं और कार्रवाई के लिए दबाव डाला। इसमें निष्कासित श्रमिक नेताओं की बहाली, हिंसा के कारनामों में सीधे तौर पर लिप्त प्रबंधकों की बर्खास्तगी और यूनियन की तत्काल मान्यता शामिल थी। शाही शुरू में इकाई-8 के श्रमिकों को बहाल करने के लिए सहमत हुआ, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी बुनियादी कदम उठाने के लिए तैयार नहीं हुआ कि श्रमिक कारखाने में सुरक्षित रूप से लौट पाएं और संगठन की स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकार का हनन न हो। सार्थक सुधारात्मक कार्रवाई करने में शाही की विफलता को देखते हुए डब्ल्यूआरसी ने अपनी जाँच को सार्वजनिक कर दिया। फिर शाही और उससे जुड़े ब्रांडों पर दबाव बनाने के लिए पर्याप्त मीडिया कवरेज हासिल की और दूसरी ओर कॉलेजिएट लाइसेंसधारी कोलंबिया को प्रेरित करने के लिए विश्वविद्यालय पर दबाव बनाया।

डब्ल्यूआरसी की रिपोर्ट के प्रकाशन के दबाव में, शाही ने 25 जून को श्रमिक संघ के साथ मुलाकात की और एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिसकी प्रमुख शर्तों को जून के अंत तक सफलतापूर्वक लागू किया गया। जिन 15 श्रमिकों को बेरहमी से पीटा गया था, जान से मारने की धमकियाँ दी गई थीं और शाही इकाई-8 की फैक्ट्री से निलम्बित कर दिया गया था, वे बिना किसी घटना या उत्पीड़न के अपनी नौकरी पर लौट आए और उन्हें पिछला बकाया वेतन मिला। डब्ल्यूआरसी के प्रतिनिधियों और खरीदारों ने कारखाने में श्रमिकों की इस वापसी की निगरानी की। शाही ने भी श्रमिक संघ को मान्यता दी, उनसे नियमित बातचीत के लिए सहमति हुआ और हिंसा के लिए ज़िम्मेदार अधिकांश प्रबंधकों और पर्यवेक्षकों को बर्खास्त किया।

परिधान उद्योग की बेहद कम मज़दूरी के कारण अधिकांश कपड़ा श्रमिकों के पास कोविड-19 संकट की घड़ी में कोई बचत नहीं थी। चूंकि परिधान निर्यातक देशों में अधिकांश सरकारें या तो बहुत कम या कोई बेरोज़गारी लाभ प्रदान नहीं करती, इसलिए काम छूटने वाले परिधान श्रमिक व उसके परिवार की तत्काल गरीबी के बीच जो एकमात्र चीज़ होती है, वह है कानूनी रूप से अनिवार्य नौकरी विच्छेद लाभ। यह वह रक़म है जो अधिकांश परिधान श्रमिकों को बर्खास्तगी पर देय होती है।

वर्कर राइट्स कन्सॉर्शियम (डब्ल्यूआरसी) के शोध से पता चलता है कि महामारी के दौरान नौकरी से निकाले गए कई कपड़ा श्रमिकों को कानून, उन ब्रांडों व खुदरा विक्रेताओं के श्रम दायित्वों का उल्लंघन करते हुए, लगभग सभी आवश्यक मुआवज़ों से वंचित रखा गया।

 

टेक्सपोर्ट क्रिएशन (2021)

टेक्सपोर्ट क्रिएशन डब्ल्यूआरसी की रिपोर्ट में कोविड-19 के दौरान श्रमिकों की वेतन चोरी में फैशन ब्रांडों की मिलीभगत में पहचानी गई 31 निर्यात परिधान फैक्ट्रियों में से एक है, जिसमें अप्रैल 2021 तक श्रमिकों का कानूनी रूप से अनिवार्य बर्खास्तगी मुआवज़ा बकाया है।

मई 2020 में, टेक्सपोर्ट क्रिएशन ने बंद होने पर 750 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। अप्रैल 2021 तक, ये कर्मचारी कानूनी रूप से बकाया मुआवज़े के रूप में 2,16,334 डॉलर का इंतज़ार कर रहे थे।

टेक्सपोर्ट क्रिएशन एक सिलाई इकाई थी जो नम्बर 26/1, ए 2, 26/1, बी 2, टी.एम इंडस्ट्रियल एस्टेट, केंचनहल्ली, आर.आर नगर, मैसूर रोड, बेंगलुरु, भारत में स्थित थी। गैप ने जनवरी 2021 के अपने पत्र में डब्ल्यूआरसी को बताया कि उसने प्रत्येक कर्मचारी के लिए नौकरी विच्छेद गणना के विवरणों और श्रमिकों द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेज़ों को सत्यापित किया था, जिसमें ये कहा गया था कि नौकरी विच्छेद मुआवज़े का भुगतान किया गया था। और गैप ने इससे यह निष्कर्ष निकाला था कि सभी को टर्मिनल मुआवज़ा उचित रूप से प्रदान कर दिया गया था। लेकिन साक्ष्य से पता चला कि श्रमिकों को बाकी सब मुआवज़े मिले, लेकिन उन्हें नौकरी विच्छेद मुआवज़े का भुगतान नहीं किया गया था।

 

गार्डन सिटी फ़ैशन (2021)

टेक्सपोर्ट क्रिएशन डब्ल्यूआरसी की रिपोर्ट में कोविड-19 के दौरान श्रमिकों की वेतन चोरी में फैशन ब्रांडों की मिलीभगत में पहचानी गई 31 निर्यात परिधान फैक्ट्रियों में से एक है, जिसमें अप्रैल 2021 तक श्रमिकों का कानूनी रूप से अनिवार्य बर्खास्तगी मुआवज़ा बकाया है। मई 2020 में, गार्डन सिटी फ़ैशन्स ने बंद होने पर 4,500 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। अप्रैल 2021 तक, ये कर्मचारी कानूनी रूप से बकाया मुआवज़े के रूप में 7,78,803 डॉलर का इंतज़ार कर रहे थे।

गार्डन सिटी फ़ैशन, एक सिलाई इकाई है जो नम्बर 84, औद्योगिक उपनगर यशवंतपुर, बेंगलुरु, भारत में स्थित थी। गारमेंट एंड टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन (जीएटीडब्ल्यूयू) ने डब्ल्यूआरसी को सूचित किया कि श्रमिकों ने सी एन्ड ए और जेसी पेनी के लिए सिलाई की सूचना दी है। सी एंड ए के अप्रैल 2020 के खुलासे में गार्डन सिटी फैशन यूनिट्स II, III, IV और V शामिल हैं। उनके आयात रिकॉर्ड अप्रैल 2020 तक गेस के लिए शिपमेंट दिखाते हैं। अपनी वेबसाइट पर, गार्डन सिटी फैशन ने लिखा है कि उसके प्रमुख भागीदार सी एंड ए, गेस, डेबेनहम्स, सेसिल, नेक्स्ट, फॉरएवर 21, एस्प्रिट, मुफ़्ती और ड्यून्स स्टोर्स हैं।

 

ड्रेस मास्टर अपैरल प्राइवेट लिमिटेड (2021)

ड्रेस मास्टर अपैरल प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु, भारत में एक गैप आपूर्तिकर्ता, मई 2020 में बंद हो गया, जिससे इसके 1,200 कर्मचारियों को 3,46,134 डॉलर का कानूनी बकाया भुगतान नहीं मिला। ड्रेस मास्टर भारतीय कम्पनी रेमंड लिमिटेड का हिस्सा था, जो तीन ब्रांडों का मालिक है और पाँच अन्य सहायक कम्पनियों का संचालन करता है।

कार्यबल में कटौती यहाँ दो महीने पहले शुरू हुई जब श्रमिकों ने बताया कि प्रबंधन ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कह रहा है क्योंकि कारखाने के पास ऑर्डर कम थे। सरकार द्वारा आदेशित लॉकडाउन के कारण, फैक्ट्री मार्च और अप्रैल 2020 में कई हफ्तों के लिए बंद रही। इस दौरान फेस मास्क बनाने की सुविधा में जुटे थोड़े ही कर्मचारी थे। जब 17 मई को फैक्ट्री दोबारा खुली, तो केवल आधे कर्मचारियों को ही वापस बुलाया गया। फिर, जून में, श्रमिकों को बताया गया कि ऑर्डर की कमी के कारण फैक्ट्री अस्थायी रूप से बंद हो जाएगी और दोबारा खुलने पर उन्हें फिर से काम पर रखा जाएगा। इस घटना के नौ महीने बाद भी, ड्रेस मास्टर बंद है और इसके कर्मियों को नौकरी विच्छेद का भुगतान नहीं किया गया है। हालांकि इकाई ने श्रमिकों को कुछ बकाया लाभ (वार्षिक बोनस और अर्जित छुट्टी वेतन) का भुगतान किया है।

गैप का दावा है कि ड्रेस मास्टर ने श्रमिकों को पूरा भुगतान किया। हालाँकि, श्रमिक प्रतिनिधि यह रिपोर्ट करते रहे हैं कि श्रमिकों को वेतन विच्छेद का एक भी रुपया नहीं मिला है और डब्ल्यूआरसी ने निष्कर्ष निकाला है कि ड्रेस मास्टर के मालिकों द्वारा गैप को गलत सूचना दी गई है।

 

एवरी डेनिसन (2020)

डब्ल्यूआरसी ने कम्पनी के कर्मचारियों के खिलाफ एवरी डेनिसन द्वारा प्रतिशोध की कार्रवाही की जाँच की, जिन्होंने बेंगलुरु स्थित गारमेंट एंड टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन (जीएटीडब्ल्यूयू) द्वारा अपने प्रतिनिधित्व की माँग की थी। जैसा कि रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है, डब्ल्यूआरसी ने पाया कि एवरी डेनिसन ने इस फैक्ट्री में श्रमिकों के संबद्ध अधिकारों का उल्लंघन किया है जिसके प्रमुख बिन्दु यहाँ दिए हैं-

  • फैक्ट्री के मानव संसाधन प्रबंधक द्वारा फैक्ट्री में मौजूदा यूनियन के नेता को अनुचित भुगतान और जीएटीडब्ल्यूयू द्वारा प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के श्रमिकों के प्रयास का विरोध करने के लिए उस यूनियन के नेताओं को शामिल करना,
  • सुविधा में मौजूदा यूनियन के समर्थकों को जीएटीडब्ल्यूयू का समर्थन करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ शारीरिक हमला करने, हिंसा, आपराधिक मुकदमा चलाने और आवास से बेदखल करने की धमकी देने की अनुमति देना, और
  • श्रमिकों की अहिंसक सहयोगी गतिविधियों की डराने वाली अत्यधिक निगरानी करना।

डब्ल्यूआरसी ने जाँच के इन निष्कर्षों को एवरी डेनिसन, कोलंबिया (एक कॉलेजिएट लाइसेंसधारी) और कारखाने से सोर्सिंग करने वाले अन्य ब्रांडों के साथ साझा किया। इसके बाद, एवरी डेनिसन ने डब्ल्यूआरसी से सम्पर्क किया और सुधारात्मक उपायों पर सहमति व्यक्त की। एवरी डेनिसन ने एक संयुक्त समिति को भी मान्यता दी और उसके साथ बातचीत की जिसमें जीएटीडब्ल्यूयू और मौजूदा यूनियन दोनों के प्रतिनिधि शामिल थे, और अंततः फैक्ट्री में श्रमिकों के लिए वेतन और लाभों में महत्वपूर्ण सुधार के साथ एक नए सामूहिक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

 

गोकलदास एक्सपोर्ट्स (2015)

डब्ल्यूआरसी की जाँच में पाया गया कि, इस त्रासदी के समय जिसमें एक बच्चे की मृत्यु हो गई थी, यह फैक्ट्री कर्मचारियों की योग्यता और ऑन-साइट चाइल्डकैअर और आपातकालीन चिकित्सा सहायता के उपकरणों के सम्बन्ध में कई राज्य नियमों का उल्लंघन कर रही थी। और यदि फैक्ट्री ने इन आवश्यकताओं का अनुपालन किया होता तो शायद बच्चे की मृत्यु न हुई होती। इन निष्कर्षों के चलते और उस बच्चे की मां द्वारा वहन किए गए नुकसान की विशालता तथा कारखाने के पर्याप्त वित्तीय संसाधनों (गोकलदास एक्सपोर्ट्स का अधिकांश भाग बहु-अरब डॉलर की निजी इक्विटी निवेश फर्म, ब्लैकस्टोन ग्रुप के स्वामित्व में है) को देखते हुए, डब्ल्यूआरसी ने पुरज़ोर आग्रह किया कि गोकलदास एक्सपोर्ट्स श्रमिक और उसके परिवार को पर्याप्त अतिरिक्त मुआवज़ा प्रदान करे।

हमें यह बताते हुए खुशी है कि 9 सितंबर, 2015 को गोकलदास एक्सपोर्ट्स और बेंगलुरु स्थित श्रमिक संगठन गारमेंट एंड टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन (जीएटीडब्ल्यूयू) के बीच चर्चा के बाद, कम्पनी मृत बच्चे की मां को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने पर सहमत हुई। उसके नुकसान को ध्यान में रखते हुए 10,500 डॉलर (या लगभग नौ साल का वेतन) देने की पेशकश हुई जिसे कर्मचारी ने 14 सितंबर स्वीकार किया और उसे यह अतिरिक्त मुआवज़ा प्राप्त हुआ।

 

शाही एक्सपोर्ट्स इकाई-12 (2010)

मार्च 2009 में न्यूनतम वेतन वृद्धि की घोषणा के बाद लगभग एक साल तक बेंगलुरु में कपड़ा उत्पादक कानूनी रूप से आवश्यक वेतन का भुगतान करने में विफल रहे। सैकड़ों-हजारों श्रमिकों को उनकी वाजिब कमाई से वंचित रखा जा रहा था। लगभग 50,000 कर्मियों वाला शाही एक्सपोर्ट्स, बेंगलुरु के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक था। जब डब्ल्यूआरसी ने शाही को उल्लंघनों के सबूत पेश किए, तो प्रबंधन ने खुले तौर पर न्यूनतम वेतन कानून का उल्लंघन करने की बात स्वीकार की और कहा कि ऐसा करना बेंगलुरु में स्थित उद्योग के लिए एक आम बात है। प्रबंधन ने इस गलत प्रथा का इस आधार पर बचाव किया कि उद्योग का मानना है कि न्यूनतम वेतन वृद्धि अनुचित थी और उन्होंने सरकार से न्यूनतम वेतन कम करने का आग्रह किया।

हमें यह रिपोर्ट करते हुए खुशी हो रही है कि डब्ल्यूआरसी द्वारा इन व्यापक वेतन उल्लंघनों के उजागर होने के कारण 1,10,000 से अधिक श्रमिकों के पिछले बकाया वेतन और वेतन में बढ़ोतरी प्राप्त हुई है। इनमें विश्वविद्यालय के परिधान बनाने वाले श्रमिक और अमेरिका के कई सबसे प्रमुख कपड़ों के ब्रांडों और खुदरा विक्रेताओं के लिए उत्पादन करने वाले श्रमिक शामिल हैं। डब्ल्यूआरसी ने इस बात की पुष्टि की है कि वर्तमान न्यूनतम वेतन का भुगतान पूरे शहर के निर्यात कपड़ा कारखानों में अब हो रहा है।